First Successful Passenger Trial of Hyperloop Technology - IN NEWS – Watch On YouTube, प्रदूषण नियंत्रण प्रणाली में व्याप्त अनियमितताएँ (एडिटोरियल), Leopard Poaching in India - To The Point (Video), Special Marriage Act, 1954 - Audio Article, Magnetic equator line - To The Point (Video), अक्तूबर 2020 भाग-2 (मासिक एडिटोरियल संग्रह), अक्तूबर 2020 भाग-2 (मासिक डेली क्विज़ संग्रह), भारत की नीतियों पर अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों का प्रभाव (एडिटोरियल), Geothermal Springs - To The Point (Video), Plain vanilla bonds - To The Point (Video), इंदिरा गांधी : जीवन परिचय (चर्चित मुद्दे). All rights reserved |. किसी भी राज्य में चुनाव से पहले एक अधिसूचना जारी की जाती है। इसके बाद उस राज्य में ‘आदर्श आचार संहिता’ लागू हो जाती है और नतीजे आने तक जारी रहती है। मज़े की बात यह है कि आम मतदाता तो यह जानता तक नहीं कि आखिर ‘आदर्श आचार संहिता’ किस बला का नाम है। ऐसे में बहुत से सवाल मुँह उठाकर खड़े हो जाते हैं। जैसे- आदर्श आचार संहिता क्या होती है? I couldn’t afford to postpone it any longer, I was short of time due to my age. Blog – Use RSS feeds to gather your daily articles! I was not content, doing all this. no number name author. AACHAR SANHITA KYA HAI ? Visit our blog Imagination where we take on a motley of themes and subjects. The concept of “One Nation, One Election” 1. 9140 views. Find here the detailed schedules of our classroom programmes. इसे लागू करने का मकसद क्या है? Aachar sanhita is a set of rules which has to be followed in any state after the Election commission announces the date of election in that constituency. 1 a/00003 pruthvivallabh kanaiyalal munshi 2 a/00004 lopa mudra kanaiyalal munshi 3 a/00005 ver ni vasulat, kono vank? Ltd., India. You may want to save these for convenience. मुख्य परीक्षा – 2019 मॉडल पेपर, लोवर सबोर्डिनेट सर्विसेज़ (अवर)- पाठ्यक्रम, नीतियों के निर्माण और कार्यान्वयन से उत्पन्न मुद्दे, चुनाव की तारीख का ऐलान होते ही यह लागू हो जाती है और नतीजे आने तक जारी रहती है।, दरअसल ये वो दिशा-निर्देश हैं, जिन्हें सभी राजनीतिक पार्टियों को मानना होता है। इनका मकसद चुनाव प्रचार अभियान को निष्पक्ष एवं साफ-सुथरा बनाना और सत्ताधारी राजनीतिक दलों को गलत फायदा उठाने से रोकना है। साथ ही सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग रोकना भी आदर्श आचार संहिता के मकसदों में शामिल है।, आदर्श आचार संहिता को राजनीतिक दलों और चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के लिये आचरण एवं व्यवहार का पैरामीटर माना जाता है।, दिलचस्प बात यह है कि आदर्श आचार संहिता किसी कानून के तहत नहीं बनी है। यह सभी राजनीतिक दलों की सहमति से बनी और विकसित हुई है।, सबसे पहले 1960 में केरल विधानसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता के तहत बताया गया कि क्या करें और क्या न करें।, 1962 के लोकसभा आम चुनाव में पहली बार चुनाव आयोग ने इस संहिता को सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों में वितरित किया। इसके बाद 1967 के लोकसभा और विधानसभा के चुनावों में पहली बार राज्य सरकारों से आग्रह किया गया कि वे राजनीतिक दलों से इसका अनुपालन करने को कहें और कमोबेश ऐसा हुआ भी। इसके बाद से लगभग सभी चुनावों में आदर्श आचार संहिता का पालन कमोबेश होता रहा है।, गौरतलब यह भी है कि चुनाव आयोग समय-समय पर आदर्श आचार संहिता को लेकर राजनीतिक दलों से चर्चा करता रहता है, ताकि इसमें सुधार की प्रक्रिया बराबर चलती रहे।, अब कहीं पर भी चुनाव होने पर आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है और इसका सबसे बड़ा मकसद चुनावों को पारदर्शी तरीके से संपन्न कराना होता है।, इसके अलावा समय से पहले विधानसभा का विघटन हो जाने पर भी आदर्श आचार संहिता में प्रावधान किये गए हैं। इनके तहत कामचलाऊ राज्य सरकार और केंद्र सरकार राज्य के संबंध में किसी नई योजना या परियोजना का ऐलान नहीं कर सकती है।, चुनाव आयोग को यह अधिकार सर्वोच्च न्यायालय के एस.आर. मुखर्जी नगर, सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट के सामने , नई दिल्ली - 110009, दृष्टि द विज़न फाउंडेशनसिविल लाइन्स, प्रयागराज (इलाहाबाद), उत्तर प्रदेश - 211001, फोन नंबर - 8448485518, 8750187501, नोट्स देखने या बनाने के लिए कृपया लॉगिन या रजिस्टर करें|, प्रोग्रेस सूची देखने के लिए कृपया लॉगिन या रजिस्टर करें|, आर्टिकल्स को बुकमार्क करने के लिए कृपया लॉगिन या रजिस्टर करें|, हिंदी साहित्य: पेन ड्राइव कोर्स (Hindi Literature: Pendrive Course), कॉपीराइट © 2018-2020 'दृष्टि द विज़न' फाउंडेशन, इंडिया | सर्वाधिकार सुरक्षित |, सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा - 2020 (सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र - 2- Answer key), सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा - 2020 (सामान्य अध्ययन - प्रश्नपत्र-2), सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा - 2020 (सामान्य अध्ययन - प्रश्नपत्र-1), सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा - 2020 (सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र - 1- Answer key), छत्तीसगढ़ पी.सी.एस. That is why Drishti Media is bringing to you study material in the audio-video format. दृष्टि द विज़न फाउंडेशन641, पहली मंजिल, डॉ. इनके अलावा इस मुद्दे से जुड़ी कई और जिज्ञासाएँ भी हैं, जिनके बारे में हर जागरूक मतदाता को जानकारी होनी चाहिये।, ऐसे ही सवालों और जिज्ञासाओं का जवाब तलाशने की कोशिश हम इस लेख में करेंगे।, मुक्त और निष्पक्ष चुनाव किसी भी लोकतंत्र की बुनियाद होती है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में चुनावों को एक उत्सव जैसा माना जाता है और सभी सियासी दल तथा वोटर्स मिलकर इस उत्सव में हिस्सा लेते हैं। चुनावों की इस आपाधापी में मैदान में उतरे उम्मीदवार अपने पक्ष में हवा बनाने के लिये सभी तरह के हथकंडे आजमाते हैं। ऐसे माहौल में सभी उम्मीदवार और सभी राजनीतिक दल वोटर्स के बीच जाते हैं। ऐसे में अपनी नीतियों और कार्यक्रमों को रखने के लिये सभी को बराबर का मौका देना एक बड़ी चुनौती बन जाता है, लेकिन आदर्श आचार संहिता इस चुनौती को कुछ हद तक कम करती है।, एक ज़माना था, जब चुनावों के दौरान दीवारें पोस्टरों से पट जाया करती थीं। लाउडस्पीकर्स का कानफोडू शोर थमने का नाम ही नहीं लेता था। दबंग उम्मीदवार धन-बल के ज़ोर पर चुनाव जीतने के लिये कुछ भी करने को तैयार रहते थे। चुनावी वैतरणी पार करने के लिये साम, दाम, दंड, भेद का सहारा खुलकर लिया जाता था। बूथ कैप्चरिंग करने और बैलट बॉक्स लूट लेने जैसी घटनाएँ भी आम थीं। सैकड़ों की संख्या में लोग चुनावी हिंसा के दौरान हताहत होते थे। तब चुनावों में शराब और रुपए बाँटने का खुला खेल चलता था। ऐसे हालातों में आदर्श आचार संहिता रामबाण तो नहीं, लेकिन आशा की किरण बनकर ज़रूर सामने आई।, भारत में होने वाले चुनावों में अपनी बात वोटर्स तक पहुँचाने के लिये चुनाव सभाओं, जुलूसों, भाषणों, नारेबाजी और पोस्टरों आदि का इस्तेमाल किया जाता है। इसी के मद्देनज़र आदर्श आचार संहिता के तहत क्या करें और क्या न करें की एक लंबी-चौड़ी फेहरिस्त है, लेकिन हम बात उन्हीं मुद्दों पर करेंगे, जो आदर्श आचार संहिता को इतना अहम बना देते हैं।, इन सारी कवायदों का मकसद सत्ता के गलत इस्तेमाल पर रोक लगाकर सभी उम्मीदवारों को बराबरी का मौका देना है।, इस मुद्दे पर देश की आला अदालत भी अपनी मुहर लगा चुकी है। सर्वोच्च न्यायालय इस बाबत 2001 में दिये गए अपने एक फैसले में कह चुका है कि चुनाव आयोग का नोटिफिकेशन जारी होने की तारीख से आदर्श आचार संहिता को लागू माना जाएगा।, जब डिजिटलीकरण और हाई-टेक होने का दौर चल रहा हो तो भला चुनाव आयोग क्यों पीछे रहता। आदर्श आचार संहिता को और यूज़र-फ्रेंडली बनाने के लिये कुछ समय पहले चुनाव आयोग ने ‘cVIGIL’ एप लॉन्च किया। तेलंगाना, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिज़ोरम और राजस्थान के हालिया विधानसभा चुनावों में इसका इस्तेमाल हो रहा है।, यह तो बात हुई इस एप के फायदों की, लेकिन हम सब यह भी जानते हैं कि नफे के साथ नुकसान भी जुड़ा होता है। इसी के मद्देनज़र इस एप के गलत इस्तेमाल को रोकने के भी इंतज़ाम किये गए हैं।, वैसे देखा जाए तो आदर्श आचार संहिता में सब कुछ चमकीला ही दिखाई देता है, लेकिन यह देखने में आया है कि इसके लागू हो जाने के बाद डेढ़-दो महीने तक सरकारी कामकाज लगभग ठप पड़ जाते हैं।, प्रश्न : भारत में चुनाव सुधारों की ज़रूरत का उल्लेख करते हुए बताइये कि आदर्श आचार संहिता इस दिशा में कितना सहायक सिद्ध हुआ है? Library Book List - Free ebook download as Excel Spreadsheet (.xls), PDF File (.pdf), Text File (.txt) or read book online for free. An online free education platform Download Free PDF Notes and Free Study Material for SSC CGL, CHSL, UPSC, IAS, RAS, Railway RRB NTPC and Group D, Bank PO Clerk SBI, IBPS Exams मुख्य परीक्षा – 2019 मॉडल पेपर, लोवर सबोर्डिनेट सर्विसेज़ (अवर)- पाठ्यक्रम. Research has proved that watching or listening to information actually betters the chances of its recall. Chabahar-Zahedan Railway Line : Simplified – Watch On YouTube, Nagorno - Karabakh Peace Deal between Armenia, Azerbaijan and Russia - In News – Watch On YouTube, Important Government Schemes- Rashtriya Gokul Mission (RGM) – Watch On YouTube, NGT Ban on Firecrackers | Editorial Analysis - Nov 10, 2020 – Watch On YouTube, Corona Vaccine is 90% Effective in Phase 3 Trial: Simplified – Watch On YouTube, Editorial on Thirty Meter Telescope Project. Initially, there was a sense of learning, but with time, even that learning had subsided. Do leave your comments and suggestions, we look forward to it!
ईमेल से सदस्यता लें, हिंदी साहित्य: पेन ड्राइव कोर्स (Hindi Literature: Pendrive Course), Copyright © 2018-2020 VDK Eduventures Pvt. Drishti Media constantly develops high-quality video discussions on various topics, themes and issues. What is the Model Code of Conduct? बोम्मई मामले में दिये गए ऐतिहासिक फैसले से मिला है। 1994 में आए इस फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि कामचलाऊ सरकार को केवल रोज़ाना का काम करना चाहिये और कोई भी बड़ा नीतिगत निर्णय लेने से बचना चाहिये।, वर्तमान में प्रचलित आदर्श आचार संहिता में राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के सामान्य आचरण के लिये दिशा-निर्देश दिये गए हैं।, सबसे पहले तो आदर्श आचार संहिता लागू होते ही राज्य सरकारों और प्रशासन पर कई तरह के अंकुश लग जाते हैं।, सरकारी कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक निर्वाचन आयोग के तहत आ जाते हैं।, आदर्श आचार संहिता में रूलिंग पार्टी के लिये कुछ खास गाइडलाइंस दी गई हैं। इनमें सरकारी मशीनरी और सुविधाओं का उपयोग चुनाव के लिये न करने और मंत्रियों तथा अन्य अधिकारियों द्वारा अनुदानों, नई योजनाओं आदि का ऐलान करने की मनाही है।, मंत्रियों तथा सरकारी पदों पर तैनात लोगों को सरकारी दौरे में चुनाव प्रचार करने की इजाजत भी नहीं होती।, सरकारी पैसे का इस्तेमाल कर विज्ञापन जारी नहीं किये जा सकते हैं। इनके अलावा चुनाव प्रचार के दौरान किसी की प्राइवेट लाइफ का ज़िक्र करने और सांप्रदायिक भावनाएँ भड़काने वाली कोई अपील करने पर भी पाबंदी लगाई गई है।, यदि कोई सरकारी अधिकारी या पुलिस अधिकारी किसी राजनीतिक दल का पक्ष लेता है तो चुनाव आयोग को उसके खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है। इसके अलावा चुनाव सभाओं में अनुशासन और शिष्टाचार कायम रखने तथा जुलूस निकालने के लिये भी गाइडलाइंस बनाई गई हैं।, किसी उम्मीदवार या पार्टी को जुलूस निकालने या रैली और बैठक करने के लिये चुनाव आयोग से अनुमति लेनी पड़ती है और इसकी जानकारी निकटतम थाने में देनी होती है।, हैलीपैड, मीटिंग ग्राउंड, सरकारी बंगले, सरकारी गेस्ट हाउस जैसी सार्वजनिक जगहों पर कुछ उम्मीदवारों का कब्ज़ा नहीं होना चाहिये। इन्हें सभी उम्मीदवारों को समान रूप से मुहैया कराना चाहिये।, इस फैसले के बाद आदर्श आचार संहिता के लागू होने की तारीख से जुड़ा विवाद हमेशा के लिये समाप्त हो गया।, अब चुनाव अधिसूचना जारी होने के तुरंत बाद जहाँ चुनाव होने हैं, वहाँ आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है।, यह सभी उम्मीदवारों, राजनीतिक दलों तथा संबंधित राज्य सरकारों पर तो लागू होती ही है, साथ ही संबंधित राज्य के लिये केंद्र सरकार पर भी लागू होती है।, cVIGIL के ज़रिये चुनाव वाले राज्यों में कोई भी व्यक्ति आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की रिपोर्ट कर सकता है। इसके लिये उल्लंघन के दृश्य वाली केवल एक फोटो या अधिकतम दो मिनट की अवधि का वीडियो रिकॉर्ड करके अपलोड करना होता है।, उल्लंघन कहाँ हुआ है, इसकी जानकारी GPS के ज़रिये ऑटोमेटिकली संबंधित अधिकारियों को मिल जाती है।, शिकायतकर्त्ता की पहचान गोपनीय रखते हुए रिपोर्ट के लिये यूनीक आईडी दी जाती है। यदि शिकायत सही पाई जाती है तो एक निश्चित समय के भीतर कार्रवाई की जाती है।, यह एप केवल आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के बारे में काम करता है। तस्वीर लेने या वीडियो बनाने के बाद यूज़र्स को रिपोर्ट करने के लिये केवल पाँच मिनट का समय मिलता है और इसमें पहले से ली गई फोटोज़ या वीडियो अपलोड नहीं किये जा सकते।, हाई-टेक होने की दौड़ में cVIGIL एप के अलावा चुनाव आयोग ने और कई एडवांस तकनीकों को भी अपनाया है। इनमें नेशनल कंप्लेंट सर्विस, इंटीग्रेटेड कॉन्टैक्ट सेंटर, सुविधा, सुगम, इलेक्शन मॉनिटरिंग डैशबोर्ड और वन वे इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलट आदि शामिल हैं।, चुनाव आयोग आदर्श आचार संहिता तथा अन्य उपायों के ज़रिये चुनावों को निष्पक्ष और साफ-सुथरा बनाने के प्रयास लगातार करता रहता है और इसके लिये उसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहा भी गया है, लेकिन यह भी उतना ही सच है कि भारत जैसे बड़े देश में चुनावों को केवल आदर्श आचार संहिता के रहमो-करम पर नहीं छोड़ा जा सकता है।, बार-बार होने वाले चुनावों के कारण प्रशासन तो प्रभावित होता ही है, भारी मात्रा में पैसे की भी बर्बादी होती है।, हमारे देश में सालभर कहीं-न-कहीं चुनाव होते ही रहते हैं। इसलिये 1999 में विधि आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में देशभर में एक साथ चुनाव करने की सिफारिश की थी। अभी कुछ समय पहले भी विधि आयोग देशभर में एक साथ चुनाव कराए जाने को लेकर ड्राफ्ट पेश कर चुका है।, इसके अलावा, भारत के उपराष्ट्रपति भी कह चुके हैं कि सभी राजनीतिक दल आपसी सहमति बनाकर अपने मेंबर्स के लिये एक आदर्श आचार संहिता तैयार करें, जिस पर विधानमंडल और संसद के भीतर एवं बाहर अमल होना चाहिये।, लेकिन यह भी सच है कि चुनावों के दौरान लागू होने वाली आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने की कोशिश सरकार किसी-न-किसी तरीके से ज़रूर करती है। यदि चुनाव आयोग कड़ी निगाह न रखे तो वह इस कोशिश में कामयाब भी हो जाती है।, ऐसे में आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन होने पर चुनाव आयोग के पास कार्रवाई करने के अधिकार भी होते हैं। इसके लिये चुनाव आयोग FIR दर्ज करा सकता है या उम्मीदवारी पर रोक तक लगा सकता है।, दरअसल, आदर्श आचार संहिता चुनाव सुधारों से जुड़ा एक अहम् मुद्दा है, जिससे और बहुत से चुनाव सुधारों का रास्ता खुलता है। देखा जाए तो हर चुनाव के साथ हमारी डेमोक्रेसी में और निखार आता जा रहा है, लेकिन लोकतंत्र के इस उत्सव को सफल बनाने में चुनाव आयोग की कोशिशों के साथ देश के नागरिकों की भी यह जवाबदेही है कि इसे सफल बनाएँ।.